padmavati temple garden

मां पद्मावती मंदिर: एक आध्यात्मिक स्थल जिसके बारे में आपको जानना चाहिए Padmavathi Temple Garden

आज के इस लेख में हम मां पद्मावती के मंदिर (Padmavathi Temple Garden) जो तिरुपति जाने से पहले हमें दर्शन करना चाहिए उसकी पूरी जानकारी, दर्शन ticket कितना, time लगता है, दर्शन में तिरुपति से यह मंदिर कितनी दूरी में है, क्या क्या transport की facility है। क्या वजह है कि हमें तिरुपति की यात्रा करने से पहले मां पद्मावती के मंदिर (Padmavathi Temple Garden) में दर्शन करके जाना चाहिए। इन सब की जानकारी हम इस लेख में देने वाले हैं।

padmavati temple garden

Padmavathi Temple Garden in Hindi

मां पद्मावती: मां लक्ष्मी की अवतार

माँ पद्मावती, माँ लक्ष्मी की ही अवतार है और भगवान वेंकटेश स्वामी की पत्नी।  माँ पद्मावती का मंदिर (Padmavathi Temple Garden), तिरुचनूर तिरुपति से पांच kilometer की दूरी पर है। कई आश्चर्य और अदभुत शक्तियों का मील है जो बहुत ही कम लोगों को पता है। मां पद्मावती का मंदिर भी ttd मंदिर प्रशासन के अंतर्गत आता है।  

दिव्य घटना: मां पद्मावती का अद्भुत वर्णन

माना जाता है कि भगवान बालाजी ने यहां पर बारह साल तपस्या की। और उन के घोर तपस्या से खुश होकर मां लक्ष्मी ने एक सोने के कमल में मां पद्मावती के रूप में उस कमल में दर्शन दिए और जिस सरोवर में यह कमल खेला था उसे स्वयं भगवान बालाजी ने अपने हाथों से बनाया था। और उस कमल को देखने के लिए सूर्य भगवान ने बहुत ही ज़्यादा सहज की थी। इसीलिए भगवान बालाजी सूर्य भगवान की इस सहायता से प्रसन्न होकर अपने हाथों से उस सरोवर के पास भगवान सूर्य देव को समर्पित एक मंदिर बनवाया।  

पद्मा सरोवर

Padmavathi Temple Garden

इस सरोवर का नाम है पद्मा सरोवर और माना जाता है कि देवी पद्मावती कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी में इस तालाब में प्रकट हुई थी। इस तालाब में एक छोटा सा tank बना हुआ है जहां पर माना जाता है कि है वही स्थल है जहां पर मां पद्मावती प्रकट हुई।

कितनी महान भूमि है यहां तीन शक्तियों का वास है, नारायण शक्ति, लक्ष्मी शक्ति और शौर्यशक्ति। इसलिए जब भी आप पद्मावती के मंदिर जाएं तो पद्मावती में स्नान अवश्य करें। अगर नहीं है किसी कारणवश सरोवर को close किया गया है तो वहां पर थोड़ा सा जल लेकर अपने माथे पर छिड़कें। माना जाता है कि बहुत सारे पाप इस सरोवर के पानी से धुल जाते हैं।  

मां पद्मावती का मंदिर और उसकी महत्वपूर्ण जानकारी

वैष्णव शास्त्र वेंकटा चलम महातियम और पद्म पुराण के अनुसार तिरुपति जाने से पहले आपको मां पद्मावती के दर्शन करने चाहिए। उसके बाद फिर भगवान बाला जी के दर्शन करना चाहिए। तिरुमला के official website में भी अगर आप देखते हैं तो मां पद्मावत के मंदिर के description में भी आपको यह बात स्पष्ट लिखा हुआ दिखाई देता है।

कई भक्तों का यह मानना है कि पहले अगर आप मां पद्मावती के मंदिर (Padmavathi Temple Garden) जाएं उसके बाद भगवान बालाजी के दर्शन करें तो आपको संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है, लेकिन यह सब अपनी धारणाओं के ऊपर है। अगर आप शास्त्र के अनुसार जाते है तो यह क्रम उचित क्रम माना जाता है।  

कई भक्त तिरमाला की यात्रा के बाद भी मां पद्मावती के मंदिर जाकर दर्शन करते हैं तो कोई hard and fast rule नहीं है क्योंकि कई बार दर्शन के timing भी ऐसे रहते हैं जिसकी वजह से हम पहले भगवान बालाजी के दर्शन कर पाते हैं और उसके बाद जाते जाते महात्मावती के दर्शन करते हैं। बस आपकी मंशा होनी चाहिए. आपके मन में यह भावना होनी चाहिए। कि आप पद्मावती के भी हम दर्शन कर पाएं. तो आपकी इच्छा ज़रूर पूरी होती है।  

मां पद्मावती के मंदिर के दर्शन

जैसे ही तिरुपति railway station आते हैं और अगर आपके पास कोई भी दर्शन ticket नहीं है तो पहले आप offline में SST ticket ले उसके बाद जो भी एक time slot आपको मिला है उस हिसाब से आप planning करें कि किस तरह से आप पद्मावती के मंदिर जाएं और उसके त्रिमुला पहुंचे।  

यह त्रिमुला होकर last में मां पद्मावती के मंदिर जाएं. यह सारा आपके दर्शन timing पर भी depend करता है. मां पद्मावती के मंदिर लिए कोई भी online booking की ज़रूरत नहीं है दर्शन ticket के लिए। आप direct मंदिर जा सकते हैं।  तिरुपति railway station से बस पांच kilometer की दूरी पर है बहुत सारे government buses, private taxi available है।

असानी से से आप वहां पहुंच सकते हैं. आप वहां जाकर rush को देखकर अगर आवश्यकता पड़ती है तब आप special दर्शन ticket, सौ रुपए के तीन सौ, पांच सौ इस तरह के special ticket भी available है। आप उस हिसाब से दर्शन ticket को ले ले, वरना बहुत ही आसानी से दर्शन हो जाता है. बहुत ज़्यादा rush नहीं होता इस मंदिर में।  

सेवाएं और अन्य आयोजन

मां पद्मावती के मंदिर में भी प्रसाद मिलता है. आप मां पद्मावती के मंदिर में प्रसाद ज़रूर लें. अगर आप सेवा करना चाहते हैं मां पद्मावती के मंदिर में तो भी कर सकते हैं आपके समक्ष ही बहुत सारी सेवाएं करवाई जाती है।

आप current booking यानी वहीं पर counters में सेवा ticket से ले सकते हैं और फिर सेवा के time के हिसाब से आप सेवा को देख सकते हैं आप के समक्ष ही सेवा कार्यक्रम किया जाता है।  

बहुत सारे सेवाएं हैं जैसे कि प्रमोद सबम है, उंझल सेवा है, सुप्रभातम सेवा है। इस तरह की बहुत सारी सेवाएं जो आप अपने समझ होते हुए देख सकते हैं। अगर आप चाहे तो online में भी इन सेवाओं को book कर सकते हैं। online में भी हर महीने मां पद्मावती के मंदिर में जो भी सेवा कार्यक्रम होते हैं उसके ticket को जारी किया जाता है आप वहां पर भी book कर सकते हैं।  

अन्य मंदिर

मंदिर के परिसर में बहुत सारे अन्य मंदिर भी है मंदिर के परिसर में बहुत पुराना बारवीं शताब्दी का कृष्ण भगवान मंदिर है, सुंदर और राजस्वनी मंदिर है, सूर्य भगवान के मंदिर है, इन सारे मंदिर में भी आप दर्शन कर लें, ध्यान रखें पद्मश्री वरम में पानी को ज़रूर अपने माथे पर छिलके अगर हो सके तो स्नान करके उसके बाद दर्शन करें।

मां पद्मावती (Padmavathi Temple Garden) के दर्शन के बाद आप तिलमिला पहुंचे और वहां पर भगवान वरा स्वामी का मंदिर जो कि बहुत नज़दीक है बालाजी भगवान के मंदिर से और किसी से भी पूछने से भी direction बता देते हैं। सबसे पहले भगवान वरा स्वामी के दर्शन करें तिरुमला में और उसके बाद भगवान बालाजी के दर्शन करें।

तिरुमला

तिरुमला को आदि वराक क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान बालाजी ने यह हामी दी थी वरा स्वामी को कि पहला न्यायवेदी, पहली आरती और पहला दर्शन हमेशा भगवान वरा स्वामी को दिया जाएगा और उसके बाद ही भगवान वेंकटेश स्वामी को यानी भगवान बालाजी को मिलेगा। अगर आप मां पद्मावती के मंदिर में जाकर दर्शन नहीं कर पाते हैं और आप तिरुमला direct चले जाते हैं, वहां पर भी आपको tension लेने की ज़रूरत नहीं है। भगवान वरा स्वामी के दर्शन के बाद मंदिर में जाकर गर्भ में जैसे ही आप दाखिल होते हैं।

भगवान बालाजी मंदिर

भगवान बालाजी के मंदिर में जो भगवान बालाजी की मूल व्यय है यानी भगवान बालाजी की जो मूर्ति है। उस मूर्ति को अगर आप ध्यान से देखें तो उस मूर्ति में भी भगवान के हृदय में मां लक्ष्मी जी का वास है और मां लक्ष्मी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के कानों के बहुत नज़दीक है।

तो जैसे ही आप दर्शन करते हैं महालक्ष्मी के दर्शन पहले करें उस के बाद भगवान बालाजी के चेहरे को देखें। माना जाता है कि मां लक्ष्मी भगवान वेंकटेश पर स्वामी को कानों के द्वारा भक्तों की जान का और उनके आगमन की सूचना देती हैं।  माना जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के जीवन में मां लक्ष्मी का एक बहुत ही ऊंचा स्थान है और जिनके भी सिफारिश मा लक्ष्मी करती हैं, भगवान वेंकटेशस्वामी से उनका जीवन सफल हो जाता है, उन्हें मुक्ति मिल जाती है, सारे सुख ऐश्वर्या उस भक्त के जीवन में आ जाते हैं।

समापन

मां पद्मावती( Padmavathi Temple Garden )के मंदिर में बहुत सारे समारोह के आयोजन किए जाते हैं जैसे कि ब्रह्मा, माहौल और दसरा। दसरा में खास भगवान बालाजी के मंदिर से बहुत सारी भेंट आती हैं पद्मावती के मंदिर में। माना जाता कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी इस भेंट को मापद्मवती के लिए भेजते हैं। तिलमिला के पहाड़ों से तो बहुत ही भव्य आयोजन जाता है ब्रह्म, महोत्सव और दूसरा के समय अगर हो सके तो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन अगर आप आते हैं तो आपको यह भव्य, ब्रह्मा, महोत्सव देखने का भी आनंद प्राप्त होगा।

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